![]() स्वामी कृष्ण जू राज़दान कृत शिव परिणय पर आधारित जया सिबू रैना ![]() ![]() |
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तत्कालीन लौकिक व्यहार से रीति रस्म प्रथा मनाई गयी सतीसर की
पड़ोस की महिलाओं को निमंत्रित किया 'आलत--आरातिका' के दीप से। शुक्लं से हुआ आह्वान योगिनियों ने 'वनवुन'पढ़ा श्री गणेश स्मरण की. सामवेद आधारित गणेश अथर्ववेद आधारित गणपति सूक्त कहते जिसे।। नारायणी सूक्त की कश्मीरी गायकी नृत्य से तत्पश्चात हुई आराधना दशम मंडल ऋग्वेद का अभिनय करने से वृत्ताकारमें हुई पारित योजना। देखने लगी महिलायें और सभी परिजन वर को देखने के लिए लालायित उनकी दृष्टि में नन्दलाल रुपी शिव आये उमा का हाथ मांगने के लिए।।
हुई आह्वान श्री हरि का यजमान बन गया स्वयमेव श्रीयुक्त नारायण नारायण की हुई विधिवत प्रार्थना शिव शक्ति के करने के लिए कीर्तन प्रकाशयुक्त है जिसका सौम्य स्वरुप 'स्थिति' के होते जो महाकारण शिव शम्भू की हुई आरती जब हुआ शुभ मुहूर्त में उसका पदार्पण। निष्कल होते भी सकल रूप में जब शिव आऐ बतलाने शिव-विवरण स्वयं शिव परिणय के प्रणेता की और से भी हुआ शब्द सारस्वत मनन। महिलाएं प्रसन्न चित मुद्रा में हुई योगमाया द्वारा तत्क्षण विलीन कई वर की मूर्त को देखते हुए उसी भावना में हुए स्वयमेव तल्लीन।। कइयों के मन में भाव हुए प्रज्वलित, कहा वर है वास्तव में अति प्रवीण सभी हिमाचल वासियों से वर की हुई पुनः स्तुति जय हो प्रफ्फुल! पुकारने लगे जय घोष हुआ वर के साथ अनगिनत आये बाराती सभी ।। |
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This poem speaks of the spiritual dimension of Swami Krishan Joo Razdan, who is adored as the Valmiki of Kashmir as Devarshi Swami Ji.
Added By chaman lal raina