Jeevan Ka Lakshya Kya Hai
जीवन का लक्ष्य क्या है जया सिबू | |
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३६ तत्त्वों में हूँ समर्पण, तुम्हारे जीवन की आलोकमयी रेखा क्या है? मुझे मालूम नही---- जीवन का लक्ष्य क्या है। आज समझ पाई---, कि मैं क्या हूँ । तुम्हारा परिश्रम देख कर--- में अवश्य हारी हूँ। तुम्हारी वैश्व-चित्रकला में तल्लीन होकर --- हाँ अवश्य ही उसी में-- विभिन्न रंग भरती हूँ: 'हाहा-- हूहू' हो कर। रुकती नही चलती रहती हूं कभी वाक् बन कर कभी छन्द बन कर आकार कला को देती हूं, केवल प्रभु तुम्हारे लिये। रहती हूं तपस्विनी सी --- परन्तु निश -दिन सौँच में पर है मुझ में ममत्व का समर्पण। गगन सी,रहती हूँ मगन -- इस में केवल तुम्हारा चिन्तन और कुछ नही केवल तुम ही तुम एक निराकार जो वास्तव में है नाम-रूप-गुण से समन्वित जीवात्मा का अन्तः करण। साकार के रूप में इसी लिये कहा गया है----- "एकोऽहं बहुस्याम" एक से अनेक है----- बहु-आयाम, बहुरूप-गर्भ में है जिसका वर्णन गाते थे मेरे पुरवासी,पुरुखे और पुरजन। तुम्हारे भी सन्ध्या साँझ समय। हूँ मैं अनुबंधित, तू मुझ में योगसूत्र-वत है एक ममत्व---है एक संकल्प । शुचिता का---आत्म अनुसरण का हूं उसी में समर्पित और है मेरा अस्तित्व भी आणुक्रमित । मेरे इष्ट तुम ही हो, दूजा नाही कोई । तुम हो कविता के शब्द में, स्फुर्त्ति में और प्रज्ञा में इतना ही झलकता है,हर क्षण। इतना ही दिखता है---बस समर्पण। बस ये ही है मेरा इष्ट सगुण होकर साकार शरीर में ३६ तत्त्वों से परिपूर्ण शैव शास्त्र का विश्व स्वरूप वही हूँ में--- एक आत्मतत्त्व में यही मेरा है भौतिक जीवन, जीना ही है मेरा एक स्पन्दन: ये ही है मेरा अभिनन्दन। मै ही 'जया' हूँ गीत का अनुमोदन। | |
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![]() Jaya Sibu writes in Hindi and Kashmiri. She is the recipient of Bhagwan Gopinath Research Fellowship. Some of her Kashmiri poems have been translated by Amrita Pritam in Hindi. Her publication includes 'Mantrik Bhajan Dipika' in Kashmiri verse based on the Kashmiri Beej Mantras of the Shaktivad tradition. 'Bhagwan Gopinath evam Dharmik Chintan' in Hindi is under publication. She is a regular contributor to various Hindi and Kashmiri magazines and piublications. |