शशि शेखर पण्डिता
एक श्रद्धांजलि मातामाल की और से |
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तुम शशि हो ,चन्द्र हो ,चन्द्रिका का भाव भी हो ,
सगुण होते हुए भी निर्गुण हो क्योंकि---, निर्गुण शिव ने तुझे धारण किया अपने शिखर पर आसीन किया और शेखर के रूप मेँ धारण कर तेरी मात्र कला को भी नव नूतन निर्मल भाव से प्रदर्शित किया. जीवन है क्या ?मरण है क्या ? शशि तू बताओ ----- इस चर तथा अचर सृष्टि में अनन्त की अवधि क्या जीवन के तुम्हारे ६१ वर्षो से क्या आँकी जा सकती है , आँशिक रूप से वही अस्तित्व था तुम्हारा , मगर है व्यष्टि रूप में समष्टि का अनुभव कर लिया तू ने जब पञ्चतत्व में पहले लीन फिर जल तत्व मैं विलीन वो भी अपने गृह के दक्षिण दिशा अर्णव में अटलांटिक वही गहन समुद्र तेरी मुस्कान अनूठी----, पार्थिव शरीर की थी कला कृति शब्द माधुर्य लक्षणा और व्यंजना पूर्ण-- सन्धि और समास का मधुरमय अभिनव नृत्य निःश्रेयस तथा प्रेयस वार्ताला प संवाद शक्ति अकृत्रिम प्रियँका नीना के जनक , आँखों में अश्रु धारा भव कापिष्टल ऋषि के संतान नन्दलाल प्रभा के आत्मज जूली के अर्द्ध शरीर गीता चन्द्र के ह्रदय बबली के अग्रज अभिन्न वात्सल्य हमारे प्रिय शशि सॉब जी तुझे मामी जया का नमन! राकेश अभिनव का अश्रु पूर्ण नमन कभी कुछ? कभी क्या? कुछ भी ज्ञात नहीं जिस भी लोक में तेरा हो गमन तुझे पुनर्जन्म में है विश्वास शिर्डी के साई बाबा के भक्त सन्देश हमारा। ॐ शान्ति |
चमन लाल रैना |
Smiran Bas Keval Smiran Tumhare Parthiv Sharir Ka Anhubhuuti Abhivyakti,Smriti Yahii Banti Jeewan Kii Leela. Prapt Ho Param Shanti OM Shanti Shanti Shanti
Added By Jaya Sibu
Dear Shashi ji ('Sa'ib Ji) You will be source of inspiration for all of us. We miss you very much,but you are always withus, feeling your aurs within us and around .
Added By Abhinav Kamal Raina