First death anniversary
![]() प्रिय शशि शेखर ! पहली पुण्य तिथि पर चमन लाल रैना | |
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| कहाँ हो तुम , कुछ तो कहो ! किस लोक के वासी बन गये। कुछ तो कहो एक स्थान से दूसरे स्थान तक की कहीँ यात्रा होती है , सुख मय अथवा दुःख मय कौन जनता है ,बस एक स्मृति विशेष। बस यही गद्य है जीवन का तो पद्य क्या है ? आत्मा की पुकार ,तुझे देखने के लिए क्या धुन्धली हो सकती है मेरी कविता ? नहीं नहीं , तुम्हारा आभास सदा हमारे अन्तर्मन में अदृश्य में हो कर भी सुंदर होती है | तुम्हारी यादाश्त,एक स्मरण कविता लयमान हो कर प्रेरित करती है मनोरम वाणी बन हृदय को छूती है | रोने की कविता भी क्या आत्मा का संगीत है ? कविता ताल ,लय, छंद का परिधान पहनती है सुर संगीत बांटती है जीवन |के अन्तिम साँस में भी हर कवि या गीतकार का यही प्रयास है कि अभाव में भाव भरना रोने से दुःख . की अनुभूति ...... निराकार को साकार बनाती भाव को विभाव में परिष्कृत करती अकस्मात् चले गए ,इसका है क्षोभ "हर कोई छोड़ जाता है जीवन में --, अवश्य ही.।, कुछ ना कुछ अधूरा ......... जिसे पूरा करते हैं आने वाले पीढ़ियाँ .........." कहते है ...., मनुष्य में सबसे पहले आया था अदृश्य रूप में मृत्यु का गीत -प्रेरणा बन गयी भावी प्रकृति का संगीत ...और इसी अनुभव से हुआ 'वदुन रिवुन ' का प्राण सञ्चार जन्म दिया स्मृति को फिर मूक को बना दिया वाचाल ,सन्नाटे को शब्द मिला भाषा शून्य को भाषा का दान मिला नित्य प्रति सदा तर्पण में तुम्हारी याद ! |
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